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अस्थमा क्या होती है
अस्थमा हमारी वायु मार्ग से संबंधित एक बीमारी होती है, जो की जेनेटिक या लाइफस्टाइल डिसऑर्डर के कारण होती है। अस्थमा का परमानेंट इलाज क्या है जाने से पहले हम जान लेते हैं, यह बीमारी कहां होती है। यह बीमारी हमारे फेफड़ों के अंदर होती है, जिसके कारण हमारे फेफड़ों के अंदर उपस्थित वायु मार्ग में सूजन आ जाती है और उनकी दीवारें मोटी हो जाती है।
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अस्थमा से पीड़ित मरीजों में उनके स्वास्थ्य नाली की दीवारें सिकुड़ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, सांस लेते समय आवाज का आना, खांसी और बलगम की समस्या होने लगती है।
अस्थमा होने के कारण
अस्थमा होने के कई कारण हो सकते हैं जिनको निम्नलिखित दर्शाया गया।
Number 1. अस्थमा एक अनुवांशिक गुण
अस्थमा एक अनुवांशिक गुण भी होता है। अगर आपके माता–पिता को अस्थमा हैं तो आपको भी अस्थमा होने की काफी चांसेस रहती हैं। अगर माता-पिता में से किसी एक को अस्थमा है तो बच्चे को अस्थमा होने की चांसेस 25% रहती है, लेकिन अगर माता-पिता में से दोनों को अस्थमा है तो बच्चे को आस्था होने की चांसेस 50% रहती है।
Number 2. एक्सरसाइज के कारण अस्थमा।
सर्दियों के मौसम में अक्सर लोग सुबह-सुबह एक्सरसाइज करने के लिए दौड़ने जाते हैं। सुबह-सुबह की वह नमी भरी हवा हमारी वायु मार्ग के जरिए फेफड़ों में जाती है तो नाली में सिकुड़न और सूजन पैदा होती है। नली में हुई सिकुड़न को हम ब्रोंकोकंस्ट्रिक्शन के नाम से भी जानते हैं। किस स्थिति में भी सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और अस्थमा का अटैक आता है।
Number 3. एलर्जी के कारण अस्थमा।
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जब हम सवास्य के जरिए एलर्जन को अपनी फेफड़ा में लेते हैं तो हमारे स्वास्थ्य नली की प्रतिरक्षा प्रणाली उसको मारने के लिए नली में सूजन और म्यूकस भर देती है जिससे अस्थमा हो जाती है और हमें सांस लेने में दिक्कत होती है। बीजिंग जैसा साउंड आती है और खांसी भी होती है।
Number 4. धूम्रपान से अस्थमा का होना।
हमारी वायु मार्ग में उपस्थित सिलिया का काम होता है धूल–मिट्टी को हमारे फेफड़ों में जाने से रोकना। हम धूम्रपान करते हैं तो उसकी धुवा के कारण सिलिया खराब पड़ जाती है और नली की द्वार सुखी पड़ जाती है। इन सबके कारण स्वास्थ्य नाली में सूजन आ जाती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और अस्थमा का अटैक आता है।
Number 5. जानवरों के संपर्क में आने से अस्थमा।
यदि जानवरों को कोई एलर्जी हुआ रहता है जैसे खुजली सर्दी जुकाम तो उनका वायरस हवा से होते हुए हमारे नाकों के जरिए हमारे फेफड़ा में पहुंच जाते हैं। फेफड़ा में पहुंचने के कारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उसको मारने के लिए सूजन पैदा करती है जिससे ब्रोनकोकंस्ट्रिक्शन हो जाता है। ब्रोंको कंस्ट्रक्शन होने के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है और अस्थमा का अटैक आटा हैं।
Number 6. लोगों में अस्थमा और भी कारण के वजह से हो सकते हैं जैसे धूल, मिट्टी, धूवा, मोल्ड स्पोर्स, कॉकरोच के मल, छोटे-छोटे कर्ड, पॉल्यूशन आदि के कारण भी लोगों में अस्थमा हो जाती है।
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अस्थमा के लक्षण
1. सांस लेने में दिक्कत होना।
2. खांसी का आना।
3. छाती में टाइटनेस महसूस होना।
4. सीढ़िया उतरने चढ़ने या नॉर्मल पोजीशन में भी सांस का फूलना।
5. बच्चों में सांस लेने पर घरघराहट जैसी आवाज आना है।
अस्थमा का परमानेंट इलाज
Number 1. हल्दी (turmeric)
एक सोध से पाया गया है, कि अस्थमा में हल्दी पानी का उपयोग करने से अस्थमा के मरीजों को काफी ज्यादा आराम मिलती है। हल्दी में कर्क्यूमिन पाया जाता है जिसमें भरपूर सूजन रोधी गुड़ होता हैं। हल्दी के सेवन से अस्थमा में हुई ब्रोंकाइल ट्यूबल के इन्फ्लेमेशन कम होती है और अस्थमा के मरीजों को आराम मिलती है।
Number 2. शहद का सेवन से
शहद में भी सूजन रोधी गुण होता है जो कि अस्थमा के मरीजों में ब्रोंकियल नलियों में सूजन को कम करके सास से संबंधित समस्या को दूर करता है। शहद को डायरेक्ट नाक से खींचने पर हमारी वायु मार्ग में उपस्थित गोबलेट कोशिकाओं के हाइपरप्लासिया को कम करता है जिससे सूजन जैसी समस्या से आराम मिलता है।
Number 3. अदरक
अस्थमा का परमानेंट इलाज इलाज में से अदरक भी आता है, जिसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होता है जो की ब्रोनकोडायलेशन करता है, जिससे सांस लेने में आसानी होती है।
अदरक में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट , सुजन रोधी, दर्द निवारक गुण नॉनस्टॉयडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स के समान ही होते हैं, लेकिन उनसे काफी अलग होते हैं।
Number 4. अस्थमा का परमानेंट इलाज लहसुन।
लहसुन में सूजन रोधी गुण होने के साथ-साथ एंटीबैक्टीरियल गुण भी होता है, जो की इन्फेक्शन के कारण हुई अस्थमा को आराम दिलाता है।
रोजाना आज लहसुन की कलियां खाने से अस्थमा से पीड़ित मरीज को आराम मिलती है।
Number 5. अजवाइन।
अजवाइन से भी अस्थमा का इलाज किया जा सकता है, क्योंकि अजवाइन में ब्रोनकोडाइलेटर का गुण होता है जो की ब्रोन्कियल नलियों को चौड़ा करके वायु मार्ग को खोलता है।
Number 6. तुलसी के पत्ते।
अस्थमा के मरीजों के छाती में जकड़न हो जाती है।
तुलसी के पत्ते में शहद, गोल मिर्च, लॉन्ग, हल्दी मिलाकर के धीरे-धीरे चबा करके उसके रस को चूसा जाए तो जकड़न से राहत मिलती है।
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अस्थमा होने पर डॉक्टर से कब मिले
1.अगर आपको लगता है कि आप बैठे हुए भी काफी ज्यादा लंबे-लंबे सांस ले रहे हैं हाफ रहे हैं।
2. रात को एकाएक खासते–खासते घरघराहट के साथ नींद का खुल जाना।
3. सीने में बहुत ज्यादा जकड़न हो जाना।
4. ऐसा लगना जैसे कि किसी ने गला दबाकर सांस को रोक दिया हैं।
यदि आपको अस्थमा होने पर यह चार लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह स्थिति होती है जिसमें आपको अस्थमा का अटैक आ जाती है।
अस्थमा के लिए योगासन।
अस्थमा का परमानेंट इलाज में तो होम रिमेडी है ही, लेकिन एक्सरसाइज और योगासन के जरिए भी अस्थमा को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आप अनुलोम विलोम, कपाल–भाती कर सकते हैं जो कि
आपकी वाइफ मारते हो चौड़ी और दुरुस्त बनती है।