ककोड़ा
ककोड़ा के फायदे: जैसे ही सावन का सीजन स्टार्ट होता है मौसम में बदलाव और झीमझीमे में बारिश के साथ एक अलग ही माहौल बन जाता है। इसी सावन के महीने में भगवान शिव की लोग बड़ी भक्ति से पूजा करते हैं। सावन मास में लोग अपनी स्वास्थ्य को ना ध्यान देते हुए दूर-दूर तक जल चढ़ाने के लिए कई सारे दातों का सामना करते हुए जाते हैं। उन्हीं विच लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा होना बेहद जरूरी होता है। इन बारिश के मौसम में अपना स्वास्थ्य कैसे बनाएं इसको लेकर लोग काफी चर्चा करते रहते हैं।
मानसून के मौसम में कुछ सब्जियां ऐसे मिलती है जो की हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने से लेकर हमारे स्वास्थ्य को अहम सीमा तक पहुंचती है। इस आर्टिकल में हम ककोड़ा के फायदे के बारे में जानने वाले हैं तो आर्टिकल को बिल्कुल अंत तक पढ़िए।
ककोड़ा की सब्जी
ककोड़ा की सब्जी को लोग काफी पसंद करते हैं। गोलाकार दिखने वाला यह सब्जी बाहर से कांटेदार इसके नुकीले कुछ भाग निकले होते हैं। यह सब्जी देखने में हरे रंग का होता है और स्वाद में करेले का जैसा होता है। स्वाद में करेले का जैसे तो होता है, लेकिन करेले के जैसा तीखा नहीं होता है। ककोड़ा के फायदे यह है कि इसको खाने से हमारे पेट सहित पाचन क्रिया मजबूत रहती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बनी जाती है।
ककोड़ा की सब्जी लोग अपने-अपने तरीके से बनाते हैं। लोग भुजिया और मसालेदार भी बनाते हैं। अपनी अपनी पसंद के अनुसार लोग ककोड़ा की सब्जी को अलग-अलग रेसिपी ट्राई करके बनाते हैं।
ककोड़ा के फायदे
इसके फायदे की बात करें तो कई सारे फायदे हैं जिनको निम्नलिखित एक-एक करके बताया गया है।
- पाचन क्रिया को मजबूत करें।
ककोड़ा को खाने से हमारी पाचन क्रिया मजबूत रहती है। ककोड़ा में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। फाइबर हमारे पेट के लिए काफी महत्वपूर्ण तत्व है। फाइबर हमारे पेट की आंतरिक क्रिया को मजबूत करता है और पाचन क्रिया को तंदुरुस्त बनता है। ककोड़ा में उपस्थित पर्याप्त मात्रा में फाइबर हमार आंतों को सही रखता है, जिससे कब्ज जैसी समस्या नहीं होती है।
और पढ़े:- अपनी पाचन क्रिया को कैसे मज़बूत करे
- हड्डियों को मज़बूत बनाएं।
ककोड़ा में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। हमारे दांत और हड्डियां कैल्शियम से मिलकर बनी होती है। कड़ा में उपस्थित कैल्शियम हमारे दांत और हड्डियों को मजबूती प्रदान करके उनको मजबूत बनाता है। ककोड़ा खाने से इसमें उपस्थित कैल्शियम होने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या नहीं होती है।
- मुंहासे को दूर करें।
बरसात के मौसम में लोग कहीं घूमने जाते हैं या जल डालने जाते हैं, तो बारिश में घूमने के कारण कई सारे इन्फेक्शन उनके त्वचा पर फैल जाती है। यह इन्फेक्शन चेहरे पर मुहासे का कारण बनते हैं। ककोड़ा के फायदे मुंहासे को दूर करने में काफी कारगर होता है। ककोड़ा में एंटीबैक्टीरियल एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो की पिंपल को दूर करते हैं।
और पढे:- चेहरे पर काले दाग धब्बे कैसे दूर करे
- बुखार को दूर करें।
ककोड़ा को खाने से या इसकी जड़ को शरीर में पीसकर लगाने से बुखार बहुत जल्दी उतरती है।
- बाबासीर से आराम।
ककोड़ा की जड़ को यदि पीसकर के सामान्य मात्रा में सेवन किया जाए तो जिन रोगियों को खूनी बवासीर की समस्या है उनकी समस्या दूर हो जाती है। ककोड़ा में एंटी कैंसर गुण होता है, जो की बवासीर में बढ़ने वाले सेल्स को मारता है।
- खासी से राहत।
ककोड़ा के फायदे, यदि आप ककोड़ा के चूर्ण को गर्म पानी में डाल करके पीते हैं, तो आपको खांसी से काफी जल्दी राहत मिलती है। ककोड़ा की सब्जी का सेवन करने से खांसी जैसी समस्या नहीं होती हैं।
ककोड़ा की तासीर
ककोड़ा की तासीर गर्म होती है। ककोड़ा जिसे लोग मीठे करेला यहां बन करेला के नाम से जानते हैं, स्वाद में थोड़ा कड़वा भी लगता है।
ककोड़ा की खेती
ककोड़ा की खेती लोग कई जगहों पर मोटी रकम और अच्छी कमाई के लिए करते हैं। इसकी खेती करने से कई सारे फायदे मिलते हैं जो की किसान को मालामाल बना देती है। करेले की जगह लोग ककोड़े को बड़ी चाव से खाते हैं, जिससे इसकी मांग भी ज्यादा है। ककोड़ा में कई सारे न्यूट्रीशन वैल्यू होने के कारण जब यह बाजार में आता है तो 70 से ₹100 के अराउंड में बिकता है जिससे किसान को अच्छी मुनाफा मिलती है।
इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से साफ सफाई करके खरपतवार को निकाल लिया जाता है। साफ हुए खेत को क्यारियों में बदल दिया जाता है, जिससे प्रत्येक पौधे के जड़ के पास अच्छे से पानी की सप्लाई हो सके।
ककोड़ा की खेती करने के 70 से 80 दिनों बाद उसमें फल लगना स्टार्ट हो जाता है। ककोड़ा का पौधा ठंडी के वजाये गर्मी में ज्यादा फल देता है, यही कारण है कि किसान गर्मी में उगाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि मुनाफा ज्यादा होता है।
ककोड़े का सब्जी दो से तीन महीने में कटाई की जाती है जिसका एक फल छोटा और 20 से 30 ग्राम का होता हैं। अपनी पहली उपज में ककोड़े की एक पौधा दो से तीन किलो फल देता है और दूसरी उपज एक साल बाद होती है।