कब्ज
कब्ज जिसे लोग आमतौर की भाषा में इंग्लिश में constipition के नाम से जानते हैं। कब्ज एक ऐसी बीमारी है जिसमें लोगों को मल त्यागने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस आर्टिकल में हम कब्ज का परमानेंट इलाज, लक्षण और नुकसान को जानने वाले हैं। कब्ज केवल एक बीमारी नहीं है, बल्कि इससे लोगों के कामकाज और मन की शुद्धता में काफी कमी आ जाती है। जिस व्यक्ति का पेट साफ नहीं होता है उस व्यक्ति का पेट हमेशा भारी महसूस होता है, जिसके कारण वह किसी भी काम में रुचि नहीं दिखता है।
हमारे पेट का पूरे तरीके से खाली न होना काफी बड़ी समस्या बन जाती है, क्योंकि हमारी पेट एक ऐसी मशीन है जो कि हमारे पूरे शरीर को ऊर्जा और एनर्जी देने का काम करती है। कब्ज में लोगों की पैखाना करने की आवृत्ति कम हो जाती है। इसके कारण मरीजों में मल त्यागने की इच्छा कम हो जाती है या पैखाना लगभग होता ही नहीं है। कब्ज का परमानेंट इलाज करना काफी बड़ी समस्या है क्योंकि लोग इससे काफी लंबे समय से प्रभावित होते हैं। कब्ज के लक्षण यह समझ लो कि यदि आपको सप्ताह में तीन बार से कम मल त्यागने की इच्छा हो रही है तो आपको कांस्टीपिशन की समस्या है।
2018 में की गई गट हेल्थ सर्वे के अनुसार इंडिया में 22 % लोग कब्ज से पीड़ित है, जिसमें सबसे ज्यादा कोलकाता के लोगों में यह समस्या पाई गई। इतनी बड़ी आबादी में 22% लोगों में कब्ज की समस्या पाना कोई छोटी बात नहीं है तो आप समझ सकते हैं यह कितनी दुविधा जनक है। कब्ज की समस्या इतनी सामान्य हो गई है कि अमेरिका में 2.5 मिलियन लोग इससे पीड़ित है।
कब्ज के मरीजों में उसके द्वारा कुछ भी खाया हुआ खाद्य पदार्थ छोटी आंत में पचने के बाद बड़ी आंत में पहुंचते ही सूख जाता है। बचा हुआ खाद्य पदार्थ मल के रूप में बड़ी आंत में आता है जो की सूखने के कारण आगे की तरफ नहीं खिसक पाता हैं। सूखा हुआ मल हमारे गुदा द्वार पर दबाव डालने के कारण उसमें छीलन, बवासीर, भगंदर और अन्य कई सारी बीमारियों को पैदा करता है।
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कब्ज के लक्षण
कब्ज एक ऐसी बीमारी है जिसमें मल त्यागने में काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कब्ज के लक्षण भी काफी कष्टदायक होते हैं जो की इंसान को ब्लीडिंग, दर्द और काफी पीड़ा देते हैं। कब्ज का परमानेंट इलाज जानने से पहले जान लेते है इसके लक्षण के बारे में।
- माल त्यागते टाइम काफी ज्यादा ताकत लगाना।
- मल त्यागने की आवृत्ति काम हो जाना अथ्यार्थ, सप्ताह में चार बार से कम पैखाना होना।
- पेट में हमेशा दर्द और ऐंठन बना रहना।
- पेट फुला फुला सा रहना।
- पेट में हमेशा गैस बना रहना है।
- भूख में कमी।
- कठोर और गोलाकार छोटे-छोटे टुकड़ों में मल का निकलना।
- सुबह के समय पैखाना ना होना।
कब्ज के नुकसान
कब्ज की बीमारी में मल बाहर न निकलने की वजह से अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना काफी मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी में हमारे पेट का पूरी तरीके से साफ होना है एक चुनौती का कारण बन जाता है। इन सारी समस्याओं के कारण कब्ज के नुकसान भी बहुत सारे होने के कारण लोग कब्ज का परमानेंट इलाज खोजने लगते हैं। गट हेल्थ क्लीनिक में छपी एक आर्टिकल के अनुसार कब्ज के कई सारे नुकसान हैं जिसको एक-एक करके बताया गया है।
1. कमजोरी व थकान महसूस होना।
कब्ज के मरीजों में माइट्रोकॉड्रियल डिस्फंक्शन होने के कारण ऊर्जा भंडारण और शक्ति प्रवाह में कमी आ जाती है। कब्ज होने पर हमारी आंतों में न्यूट्रिशन का सही से अवशोषण ना होना और विषाक्त पदार्थ का रह जाना यह सारी समस्याएं सीधा हमारी ऊर्जा प्रणाली पर असर डालती है। माइट्रोकॉड्रियल डिस्फंक्शन, विषहरण , पोषक तत्वों का न प्राप्त होने पर शरीर काफी कमजोर होने लगता है, जिससे इंसान काफी थका हुआ महसूस करता है।
2. त्वचा पर नुकसान पहुंचाना।
हम सबको तो यह पता है कि हमारी सुंदरता सीधे हमारे आंतों से जुड़ी होती है। हमारी आंतों में सारे न्यूट्रिशन और पोषक तत्वों का अवशोषण होने के कारण हमारी त्वचा पर एक अलग निखार आती है। कब्ज के मरीजों में बिसक्त पदार्थ का पुनः अवशोषण हो जाने के कारण सारे विषाक्त पदार्थ खून में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे फोड़ा ,फुंसी, मुहासे, खुजली तथा त्वचा संबंधित कई सारी बीमारियां उत्पन्न होने लगती है।
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3. हमारे नाखून और बालों पर नुकसान।
हमारे द्वारा खाए हुए सारे खाद्य पदार्थों से प्राप्त हुए पोषक तत्वों का अवशोषण हमारी आंतों में होता है। कब्ज ऐसी बीमारी है जिसमें हमारे आते प्रभावित हो जाती है। कब्ज के मरीजों में आंतों के प्रभावित होने के कारण कई सारे पोषक तत्व जो कि हमारे नाखून और बालों के लिए फायदेमंद थे उनका अवशोषण नहीं होता है। उपयुक्त पोषक तत्व न मिलने के कारण हमारे नाखून और बाल कमजोर पड़ जाते हैं।
4. इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाना।
कई लोगों को कब्ज की समस्या सिर्फ दो से तीन दिनों के लिए होती है, तो कई लोगों को क्रॉनिक कब्ज होती है। क्रॉनिक कब्ज खाने का मतलब की बहुत लंबे समय से कब्ज चलती आ रही है। जिन लोगों में क्रॉनिक कब्ज होती है उन लोगों के आंतों में सूजन हो जाती है। साथ ही साथ उन लोगों में कई सारे बैक्टीरिया भी पनपते लगते हैं, जो कि डायरेक्ट हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करते हैं, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
5. IBS का हो जाना।
लंबे समय से कब्ज की बीमारी रहने पर हमारी आंतों में सूजन होने के कारण क्रॉनिक बीमारी पैदा हो जाती है। हाथों में सूजन होने पर आईबीएस जिसे हम इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में हमारी बड़ी आंत प्रभावित हो जाती है, जिसका एक कारण यह भी है कब्ज का हो जाना है।
6. बवासीर जैसी रोग पैदा हो जाना।
कब्ज में सख्त और कठोर मल होने के कारण उसे काफी ताकत के साथ पुस करनी पड़ती है। कब्ज में मरीजों को जोर लगाने की वजह उसके गुदा द्वार में प्रेशर करने के कारण वहां की नसें दब जाती है। नसों के दबने और एक्स्ट्रा प्रेशर से त्वचा छिलने के कारण घाव बनना और बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों का रूप ले लेती है।
कब्ज में परहेज
कब्ज हमारी आंतों से संबंधित बीमारी है। हमारी आंतों का काम होता है खाने में से न्यूट्रीशन को सोख करके हमारे बॉडी के अन्य अंगों तक पहुंच कर ऊर्जा को प्रदान करना। यही कारण है की कब्ज में खानपान का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। कब्ज के मरीजों को क्या परहेज करनी चाहिए चलिए बारी-बारी से समझते हैं।
- ऐसी चीजों को न खाए जो चिकने हो। जैसे: तेल, मसाला, मक्खन, पनीर इत्यादि।
- मैदा से बनी हुई चीजों को ना खाएं।
- बाहर से मिलने वाले जंक फूड को भी ना खाएं।
- अपने डाइट में चावल की मात्रा भी कम कर दें।
- डेयरी उत्पादों जैसे पनीर दूध और उसे बनी मिठाइयों का सेवन कम करें।
- तलीभुनी हुई चीज को न खाए।
- मीट मछली का सेवन भी कम कर दे।
- ऐसी दो चीजों का मिश्रण ना खाएं जिससे आपको गैस बने।
- सूखी सूखी हुई चीज कम खाएं।
कब्ज का परमानेंट इलाज
कब्ज एक समय तथा लंबे समय तक होने वाली बीमारी है। लंबे समय तक चल रहे कब्ज को ठीक करने में थोड़ी समय लगती है, लेकिन एक्यूट कब्ज की समस्या को आप कुछ घरेलू नुस्खे से तुरंत राहत पा सकते हैं। कब्ज का परमानेंट इलाज को एक-एक करके निम्नलिखित बताया गया है।
- कब्ज के लिए दही
दही एक ऐसी प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है जो की कब्ज से काफी राहत दिलाता है। दही में उच्च फाइबर होने के कारण पाचन क्रिया मजबूत रहती है और कब्ज जैसी समस्या नहीं पनपत्ति है। दही में प्रोबायोटिक और prebiotic गुण होने के कारण हमारी आंतों में उपस्थित अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाती है, और खराब बैक्टीरिया को मारती है, जिससे पाचन क्रिया संबंधित समस्याएं नहीं पैदा होती है, और कब्ज भी दूर हो जाता है।
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- ज्यादा मात्रा में पानी पिए
हमारे आंतों की मूवमेंट धीरे होने के कारण उसमें उपस्थित खाना की सारा पानी हमारे आतें सोख लेती है। जो लोग काफी कम मात्रा में पानी पीते हैं उन लोगों के आंतों में उपस्थित भोजन सूख जाता है। सूखा हुआ भोजन धीरे-धीरे बड़ी आंत में पहुंचने के कारण कब्ज जैसी समस्या पैदा करता है। कब्ज का परमानेंट इलाज के लिए रोजाना आप पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करते रहे।
- नियमित व्यायाम करे
नियमित मात्रा में व्यायाम करने से हमारी पाचन क्रिया तंदुरुस्त रहती है, और कब्ज जैसी समस्या नहीं आती है। कब्ज का परमानेंट इलाज में से सबसे महत्वपूर्ण होता है ब्यायम। व्यायाम एक ऐसी प्रणाली है जिसमें पेट की हलचल होने पर उसकी मसल्स में एक्टिविटी पैदा होती है जिससे कब्ज जैसी समस्या को भागने में सहायता मिलती है। व्यायाम करने से हमारी अंदरूनी क्रियाएं भी सही रहती है और हम अपने आप को काफी फ्रेश महसूस करते हैं।
- कब्ज का परमानेंट इलाज फाइबर
यदि कब्ज के मरीज फाइबर युक्त खाद पदार्थ का सेवन करते हैं तो काफी आराम मिलती है। फाइबर हमारे आंतों में उपस्थित मल को नरम बनाती है, जिससे इसको आगे खिसकने में आसानी होती है। फाइबर युक्त खाद पदार्थ में आप सब्जियां, दाल, गेहूं, चोकर आदि का सेवन कर सकते हैं।
- कब्ज के लिए पपीता का सेवन
पपीता एक ऐसा फल है जिसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। पपीते का सेवन करने से उसमें उपस्थित फाइबर मल को नरम और आगे खिसकने में आसानी बनाता है। पपीता में पपेन नाम का एक एंजाइम होता है जो की पाचन क्रिया को मजबूत बनाकर के खाने को पचाने में सहायता करता है। यदि आप रोजाना सुबह खाली पेट पपीते का सेवन करते हैं तो आपको कब्ज से काफी राहत मिलती है।
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