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परिचय
मई, जून, जुलाई और अगस्त के महीने में कड़ाकेदार गर्मी के कारण लोगों में बुखार की समस्या बढ़ती जा रही है। “वायरल बुखार का रामबाण इलाज” क्या है लोग इसका जवाब गूगल पर खोजने लगते हैं। वातावरण में गर्मी और तरह-तरह के वायरस होने के कारण लोगों में इंफेक्शन फैल जाती है, जिससे बुखार की समस्या होने लगती है।
गूगल, फेसबुक और यूट्यूब पर वायरल बुखार से बचने के लिए कई सारे वीडियो और आर्टिकल्स लिखे गए हैं, जो इस आर्टिकल के सामने फीके पड़ जाएंगे। इस आर्टिकल में हम आपको वायरल बुखार होने के कारण और उससे बचने का काफी असरदार तरीका बताने वाले हैं।
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वायरल फीवर के कारण
वातावरण में कई सारे कीटाणु और वायरस मौजूद होते है, जो की डायरेक्ट हमारी श्वसन और गंदी वातावरण के कारण हमारे प्रतीक्षा प्रणाली पर हमला करते हैं। वातावरण में मौजूद वायरस के कारण नाक, कान, गला, फेफड़ा के साथ-साथ अन्य कई सारे अंग संक्रमित हो जाते हैं। वातावरण में मौजूद वायरस के कारण हमारी अंदरूनी अंग को संक्रमण से बचाने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उसको मारने के लिए शरीर का तापमान बढ़ा देती है।
वायुमंडल में कई प्रकार के वायरस मौजूद होते हैं जिनको निम्नलिखित दर्शाया गया है।
वायरल फीवर के कारण वातावर में मौजूद अर्थोपॉक्सवायरस, हर्पीज वायरस, फ्लेविवायरस, कोरोना वाइरस, पेपिलोमावायरस, एंटरोवायरस, हेपेटाइटिस वायरस होते है।
कुछ लोगों का इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण शरीर का तापमान बढ़ने के बाद भी शरीर से संक्रमण खत्म नहीं होता है। वायरल बुखार का रामबाण इलाज घरेलू चीजें जैसे:- नमक, चीनी, पानी, चिरायता, निम के पत्ते, अड़ौल, पपीता और अन्य कई सारी चीजें की मदद से हो सकता है।
वायरल बुखार का रामबाण इलाज
चिरायता
वायरल बुखार का रामबाण इलाज के लिए, अपनी रोजाना जीवन में चिरायता को जरूर शामिल करें। एंटीवायरल गुंडों से भरपूर चिरायता का सेवन करने से वायरल बुखार की प्रवृत्ति को कम किया जा सकता है। सीजनल बुखार होने का मुख्य कारण हमारी इम्यूनिटी का कमजोर होना है।
चिरायता में मौजूद एंड्रोग्राफोलाइड जो स्वाद में काफी कड़वा और बेढंग होता है। एंड्रोग्राफोलाइड में एंटी इन्फ्लेमेटरी एंटीवायरस और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है जो की वायरस के विरुद्ध लड़कर शरीर को बुखार के प्रति जागरूक करता है।
वायरल बुखार का रामबाण इलाज के लिए, सूखे चिरायता को पानी में भिगोकर फिर उसे चाय छन्नी की मदद से छानकर पीना चाहिए। कालमेघ एस्ट्रेट जिसे चिरायता के नाम से भी जाना जाता है, बाजारों में इसकी टैबलेट भी उपलब्ध है। जिस व्यक्ति को चिरायता का स्वाद सही नहीं लगता है, वह चिरायता की टेबलेट को ले सकता है।
निम की पत्तियों का सेवन।
जब भी किसी के घर में चिकन पॉक्स “जिसे छोटी माता या बड़ी माता के नाम से भी जानते हैं” होती है तो लोग नीम के पत्तियों का प्रयोग करते हैं। वायरल बुखार का रामबाण इलाज नीम की पत्तियां भी होती है। नीम की पत्तियों में मौजूद एजेडिरैक्टिन वायरस को बढ़ने से रोकता है, जिससे वायरल बुखार को कम करने में सहायता मिलती है।
चिकन पॉक्स जो की वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस के कारण होता है। इस वायरस के संक्रमण के बाद लोग नीम की पत्तियों का सेवन और आसपास उपयोग करने से चिकन पॉक्स से राहत मिल जाती है।
एंटीवायरल दवाओं का सेवन।
अक्सर लोग वायरल बुखार में एंटीबायोटिक का सेवन करने लगते हैं। एंटीबायोटिक एक प्रकार की दवाई होती है जो की बैक्टीरिया के विरुद्ध लड़कर बुखार को खत्म करती है। वायरल बुखार में वायरस का संक्रमण होने के कारण एंटीबायोटिक का कोई असर नहीं होता है, जिससे एंटीबायोटिक का दुरुपयोग हो जाता है।
वायरल बुखार का रामबाण इलाज एंटीवायरल दवा।चिकन पॉक्स जैसे वायरल रोगों में aciclovir , हेपेटाइटिस बी जैसे वायरल रोगों में Adefovir और इन्फ्लूएंजा जैसे वायरल संक्रमण में Oseltamivir जैसी एंटीवायरस दबाव का सेवन किया जाता है।
ज्यादा मात्राएं पानी का सेवन।
वायरल बुखार में हमारे शरीर से तरल पदार्थ की कमी होने लगती है जिससे निर्जलीकरण की समस्या हो जाती है। निर्जलीकरण की समस्या को खत्म करने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें। शरीर में पानी की भरपाई करने के लिए तरबूज खीरा और अन्य कई फलों को खाएं जिससे आपके अंदर शीतलता बनी रहे।
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पपीता का सेवन करें।
वायरल बुखार का रामबाण इलाज पपीता। वायरल बुखार होने पर शरीर से प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती हैं। प्लेटलेट्स की भरपाई करने के लिए पपीते का फल या फिर पपीते के पत्तियों को पीसकर पिया जा सकता है। प्लेटलेट्स को बढ़ाने में एलोवेरा और गिलोय भी रामबाण साबित होते हैं।
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