---Advertisement---

डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत, जानकारी और इलाज – 7 warning signs of dengue fever

By healthmonitorhindi.com

Published on:

Follow Us
---Advertisement---

डेंगू बुखार

गंदी और दूषित वातावरण के कारण वायरस, बैक्टेरिया और फंगी की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और उनके कारण कई तरह के रोग और नए-नए बुखार आ रहे हैं। इस आर्टिकल में हम डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत, जानकारी और दवाइयां के बारे में बताने वाले हैं। डेंगू बुखार के इलाज के बारे में जानकारी लेना लोगों के मन में उत्सुकता बनी रहती है। लोगों में डेंगू और टाइफाइड की संख्या भी बढ़ती जा रही है उन्ही में से डेंगू बुखार काफी चर्चा में हैं। लोगों में डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण होता है जो की एक प्रकार के वायरस के कारण होता है।

डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत

बरसात के मौसम में जब बारिश होती है तो नला- नाली और तालाबों में पानी इकट्ठा हो जाते हैं। जिस इलाके में बाढ़ आती है उस इलाके में जमी हुई पानी के कारण डेंगू मच्छर की तादाद बढ़ जाती है, जिसके काटने से मरीजों में डेंगू फीवर की संख्या भी बढ़ जाती है। डेंगू बुखार जिसे हम ट्रॉपिकल फ्लू के नाम से जानते हैं जो की एक वायरस जिसका नाम डेंगू वायरस होता है और मच्छरों के काटने से होता है।

डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत

कोई भी बीमारी हो उसके इलाज जानने से पहले संकेत के माध्यम से उस बीमारी को पहचानना बेहद जरूरी होता है। डेंगू बुखार के इलाज के बारे में जानकारी लेने से पहले हम यह जान लेते हैं कि डेंगू बुखार में वह कौन से सात संकेत है जो की काफी खतरनाक होती है।

  • तेज सिर दर्द 

डेंगू फीवर में लोगों के सर में काफी तेज दर्द होता है। लोगों के कान से होते हुए पूरे सर में यह दर्द फैलता है जिससे लोग काफी पीड़ा में रहते हैं। यह दर्द ऐसे होता है जैसे किसी ने बार-बार सर पर चोट मार रहा हो।

  • तेज बुखार होना 

डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत में से समान्य होता है तेज बुखार का होना। जब डेंगू वायरस का संक्रमण होता है तो वह हमारी कैपिलरीज पर हमला करता है, जिसके दौरान हमारे ब्लड में डी-डाइमर की संख्या बढ़ जाती है। शरीर में डी-डाइमर की संख्या बढ़ाने के कारण तेज बुखार और दर्द जैसी समस्या होती है।

और पढे:- बुखार को घर में कैसे ठीक करे 

  • रक्त स्राव होना 

जब डेंगू वायरस का संक्रमण होता है तो वह डायरेक्ट हमारे उन कोशिकाओं को मारता है, जो की खून को थक्का जमाने का काम करती है। डेंगू वायरस का संक्रमण होने पर खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है, जिससे आंतरिक ब्लीडिंग या मसूड़े और नाक से खून बहाना आम समस्या हो जाती है।

  • पेट में तेज दर्द 

डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत का मुख्य हिस्सा होता है तेज पेट दर्द। डेंगू बुखार हो जाने पर डेंगू वायरस हमारे पेट के लिवर को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। हमारे लीवर की क्षति पहुंचाने के कारण पेट के दाहिनी हिस्से में तेज दर्द होता है।

  • बेचैनी और कमज़ोरी महसूस होना

जब डेंगू वायरस का इंफेक्शन होता है तो आंतरिक ब्लीडिंग की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। ब्लीडिंग होने के कारण खून की कमी और कमजोरी महसूस होती है। डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत में से सबसे खतरनाक होता है बेचैनी होना है। जब सामान्य डेंगू बुखार डेंगू शॉक सिंड्रोम में बदल जाता है तो उसके लक्षणों में बेचैनी होना एक आम समस्या बन जाती है।

  • उल्टी होना 

डेंगू बुखार में लीवर की बीमारियों के कारण उल्टी भी होता है। जिन लोगों में डेंगू वायरस का संक्रमण काफी ज्यादा बढ़ गया रहता है उन लोगों में लगातार उल्टी होती रहती है, जिससे निर्जलीकरण की समस्या बढ़ जाती है।

डेंगू बुखार के इलाज के बारे में जानकारी

डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत

डेंगू बुखार के इलाज के बारे में जानकारी और डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत को जानना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि, यदि आप इसके बारे में अवगत नहीं है तो यह आपको अंदर से खोखला कर देगा। डेंगू बुखार इतना खतरनाक हो सकता है कि यदि आप इसके बारे में सही से जानकारी ना लें, अच्छी इलाज ना होने पर यह आपके इंटरनल अंगों को डैमेज करके आंतरिक ब्लीडिंग कर सकता है। डेंगू बुखार काफी ज्यादा कमजोरी और ब्लड प्रेशर को काफी हद तक गिरा देता है जिससे इंसान सदमे में भी जा सकता है।

यदि आप कहीं घूमने जाते हैं जिसके दौरान बाढ़ वाले इलाके या गंदगी इलाके जहां पर डेंगू मच्छर की तादात काफी ज्यादा हो और रास्ते में आपको बुखार हो जाए या घर पहुंचते-पहुंचते बुखार हो जाए, तो बुखार की जांच करते वक्त अपने डॉक्टर से इन सारी स्थितियों को अवश्य बताएं।

अभी तक तो डेंगू बुखार के इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हुई हैं। इसका मतलब कि डेंगू बुखार के अभी तक कोई भी इलाज नहीं निकला है। यदि आप डेंगू बुखार में होने वाले लक्षण और संकेत को कंट्रोल कर लेते हैं तो आपके डेंगू बुखार का इलाज हो जाता हैं।

  1. डेंगू बुखार में निर्जलीकरण की समस्या हो जाती है तो अपने आप को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करते रहें।
  2. जब डेंगू वायरस का संक्रमण होता है तो उस दौरान व्यक्ति काफी थका हुआ महसूस करता है और उस समय उसे आराम करनी चाहिए।
  3. रात में सोते समय या जिस समय मच्छर ज्यादा लगते हो उस समय अपनी त्वचा को ढक कर रखें। या मॉस्किटो क्रीम का प्रयोग करें।
  4. अपने घर के चारों तरफ या कोने-कोने में कीटनाशक दवाइयां का छिड़काव करते रहे।
  5. अपने रहने वाले स्थान के आसपास पानी का जमाव या नाला नालियों का पानी को इकट्ठा न होने दे।
  6. रात को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

टीकाकरण

डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत

डेंगू फीवर एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में भविष्यवाणी करना भी काफी बड़ी बात होती है। सामान्य बुखार के तरह ही डेंगू वायरस के कारण फैलने वाला इस बुखार के लक्षण भी समान्य ही होते हैं। कभी-कभी तो डेंगू वायरस के लक्षण जानलेवा साबित होते हैं और इंसान की मौत भी हो सकती है।

डेंगू वायरस के अलग-अलग सीरोटाइप होने के कारण डेंगू फीवर चार प्रकार में बाटा गया है। डेंगू फीवर का कोई भी स्टेज हो उसका टीकाकरण कराने पर 80% फायदे मिलते हैं और मरीजों की संख्या में 90% की कमी दिखाई देती है।

डेंगू वायरस के कारण होने वाली इस बुखार को रोकने के लिए तैयार किए गए इस टिके से साइड इफेक्ट लगभग ना के बराबर पाए जाते हैं। डेंगू वायरस का टीका उन्हीं को लगानी चाहिए जो कभी पहले डेंगू वायरस से संक्रमित हो चुके हो। जिन लोगों में कभी डेंगू वायरस का संक्रमण न हुआ हो उन लोगों का टीका लगाने से आने वाले समय में डेंगू होने पर जोखिम और भी बढ़ सकता है। डेंगू वायरस का टीका कोशिश करनी चाहिए की 6 से 16 साल की उम्र में लग जाए।

जो महिलाएं गर्भधारण की हुई है जिसके पेट में बच्चा पल रहा हो उन लोगों में डेंगू वायरस का संक्रमण होने की खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाती है। गर्भवती महिलाओं में डेंगू वायरस के वैक्सीन लगाने पर कोई गलत दुष्प्रभाव नहीं देखे गए हैं। गर्भवती महिलाएं और सामान्य महिलाओं में टीकाकरण करने पर अंतर लगभग न के बराबर होते हैं।

डेंगू बुखार की दवाएं

  • वैसे तो डेंगू बुखार की अभी तक कोई दवा नहीं निकली है। यदि आपको डेंगू फीवर होता है तो आपका डॉक्टर सिंप्टोमेटिक मेडिसिन से आपके डेंगू फीवर का इलाज करना शुरू करता है। डेंगू फीवर में हुई उच्च बुखार को कम करने के लिए पेरासिटामोल जैसी एंटीपायरेटिक दवाई का उपयोग करके शरीर के अत्यधिक ताप को कम किया जाता है।
  • जिस व्यक्ति को डेंगू वायरस का इंफेक्शन होता है उस व्यक्ति में निर्जलीकरण की संभावना बढ़ जाती है। शरीर में हुई पानी की कमी को दूर करने के लिए लोग ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करते हैं। निर्जलीकरण की समस्या को दूर करके इलेक्ट्रोलाइट को बैलेंस करने के लिए आप (ORSL) का उपयोग कर सकते हैं।
  • डेंगू फीवर में हमारे अंगों में सबसे ज्यादा हमारे लीवर पर प्रभाव पड़ता है। डेंगू फीवर होने पर लोगों को सामान्य भोजन का उपयोग करना चाहिए जिसको पचाने में हमारे लीवर को ज्यादा मेहनत ना करना पड़े।
  • डेंगू फीवर होने पर लोगों में इंटरनल ब्लीडिंग और माइनर बाहरी ब्लीडिंग की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है जो की डेंगू बुखार के 7 चेतावनी संकेत में से एक है। वैसे में डेंगू वायरस से संक्रमित लोगों को NSAID ग्रुप की पेन किलर को लेने से बचना चाहिए। इस ग्रुप की दवाओं का उपयोग करने से ब्लीडिंग की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है।
  • इस बुखार में लोगों को काफी ज्यादा कमजोरी महसूस होती है। डेंगू बुखार में हुई कमजोरी को दूर करने के लिए आप मल्टीविटामिन मिनरल्स का उपयोग करते रहें। या आप अपने खाने में न्यूट्रिशन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते रहे।
---Advertisement---

Leave a Comment