Contents(heading)
- 1 परिचय
- 1.1 बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है
- 1.2 बच्चेदानी में गांठ के लक्षण क्या–क्या हो सकते हैं
- 1.3 गर्भावस्था के दौरान पेट में बच्चा और बच्चेदानी में गांठ
- 1.4 बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है , इसके इलाज क्या है।
- 1.5 बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है उसके लिए कौन सी दवा ले
- 1.6 गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट में ये इंजेक्शन आती है
- 1.7 बच्चेदानी में गांठ होने पर कौन सी कंडीशन में सर्जरी कराई जाती है।
- 1.8 हिस्टेरेक्टॉमी
परिचय
बच्चेदानी में गांठ बनना एक प्रकार की ट्यूमर होती है जो कि आज–कल दिन पर दिन औरतों में बढ़ती जा रही है। आज हम इसी समस्या के ऊपर बात करने वाले हैं कि बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है।
आजकल महिलाओं में काफी ज्यादा और आम समस्या देखने को मिल रही है वह है बच्चेदानी में गांठ बन जाना। अधिकांश महिलाओं के बच्चेदानी में गांठ बन जाती है लेकिन उनको पता नहीं चलता है। इसका कारण यह है कि बच्चेदानी में गांठ बनने पर किसी प्रकार के लक्षण और दर्द नहीं होते हैं। यही कारण है कि महिलाएं रोग से पीड़ित होते हुए भी अनजान होती है और उनको आगे चलकर भुगतना पड़ता है।
महिलाओं में जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे बच्चेदानी में गांठ बनने की चांसेस भी बढ़ती जाती है। बच्चेदानी में गांठ बनने की कोई भी लक्षण नहीं होती है ना कोई दर्द होती है फिर हम कैसे पहचान करें कि बच्चेदानी में गांठ है। यह काफी चिंता के विषय बन जाती है। आज हम यही जानेंगे की बच्चेदानी में गांठ की कैसे पहचान करें और बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है इसके बारे में बारीकी से जानेंगे।
लड़कियों और महिलाओं में आजकल ओवेरियन सिस्ट की भी काफी चर्चा चल रही है हालांकि मैं आपको बता दूं कि ओवेरियन सिस्ट और बच्चेदानी में सिस्ट दोनों अलग-अलग कंडीशन है। ओवेरियन सिस्ट में अंडाशय में छोटी-छोटी गांठे बन जाती है और बच्चेदानी में सिस्ट का मतलब बच्चेदानी में गांठ बन जाती है।
ओवरवेट या मोटापे से ग्रसित महिलाएं इसके चपेट में ज्यादा आती है और हार्मोनल बदलाव के कारण भी महिलाएं इससे ग्रसित हो सकती है। बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है तो बता दे की बच्चेदानी में गांठ गर्भाशय के मांसपेशियों और फाइब्रस ऊतक से बनती है इसलिए इसे fibroid के नाम से भी जानते हैं।
बच्चेदानी में गांठ होने पर फायब्रॉइड यूट्रस, बांझपन और कैंसर होने की खतरा ज्यादा बढ़ जाती है।
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बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है
बच्चेदानी में गांठ हार्मोन में उतार चढ़ाव, मोटापा, अनुवांसिक गुड़, बढ़ती उम्र, प्रेगनेंसी के करण भी हो सकती हैं। यह बीमारी ज्यादातर मामलों में देखी जाए तो नॉन कैंसरस होती है।
बच्चेदानी में गांठ के लक्षण क्या–क्या हो सकते हैं
•प्राइवेट पार्ट से खून आना।
•एनीमिया।
•कब्ज।
•बार-बार पेशाब आना।
•यौन संबंध बनाते समय काफी दर्द होना।
•नाभि के निचले हिस्से वाला पेट में दर्द होना।
•पीठ के निचले वाले हिस्से में दर्द होना।
•पेट में सूजन हो जाना।
•पीरियड्स के समय थक्के वाला रक्तस्राव।
•मासिक धर्म के समय दर्द का लहर चलना।
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गर्भावस्था के दौरान पेट में बच्चा और बच्चेदानी में गांठ
जब किसी महिला की बच्चेदानी में गांठ रहती है और वह गर्भधारण करती है तो गर्भावस्था के दौरान उसके पेट में भ्रूण पल रहा होता है। जैसे-जैसे पेट की भ्रूण की साइज बढ़ती जाती है वैसे-वैसे बच्चेदानी की गांठ भी बढ़ती जाती है। डरने की बात यह होती है की बच्चे के साथ-साथ गांठ की भी साइज बढ़ने लगती है और डर इस बात की होती है की बच्चे की जगह वह गांठ न ले–ले। बच्चे की जगह अगर गांठ बढ़ेगा तो बच्चे की विकास रुक जाएगी और गांठ पूरे बच्चेदानी में भर जाएगी। जब आप गर्भधारण करती हैं तो शुरुआती के 1 महीने इस गांठ की बढ़ने की साइज दोगुनी होती है।
बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है , इसके इलाज क्या है।
Number 1. त्रिफला चूर्ण का सेवन करें
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित एक लेख में बताया जाता है कि त्रिफला चूर्ण फाइब्रॉयड के लिए काफी फायदेमंद होता हैं। त्रिफला चूर्ण में एंटीनोप्लास्टिक एजेंट पाए जाते हैं जो की कैंसर सेल्स को मार कर कैंसर की वृद्धि को रोकते हैं। हालांकि अगर 10 महिलाओं को फाइब्रॉयड है तो उसमें से आठ को नॉन कैंसरस होगा दो को ही या एक को ही कैंसर फाइब्रॉयड हो सकता है।
Number 2. हल्दी
जिन महिलाओं के बच्चेदानी में गांठ रहती है उनके बच्चेदानी में सूजन और पेट में सूजन हो जाती है। बच्चेदानी में गांठ के कारण हुई सूजन को कम करने के लिए आप हल्दी का सेवन कर सकते हैं। हल्दी में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होता है जो की सूजन को कम करता है। हल्दी को लेने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।
Number 3. अदरक
अदरक में भी हल्दी की तरह ही एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होता है जो की सूजन को कम करता है। साथ ही साथ अदरक को भी लेने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे वहां की सेल्स को सही से ब्लड मिलने की वजह से ट्यूमर की ग्रोथ रुक जाती है।
बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है उसके लिए कौन सी दवा ले
बच्चेदानी में गांठ होने पर बहुत कम चांसेस रहता है कि होम रिमेडी से आपका गांठ ठीक हो जाए वैसे मैं दो ऑप्शन बचती है। पहली जो होती है वह है दवा दूसरी होती है सर्जरी। बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है यह तो आप जान ही गए लेकिन जब यह होती है तो इलाज ना भी करें तो चलता है
बच्चेदानी में गांठ अगर छोटी होती है तो उसके कोई नुकसान नहीं होते हैं, लेकिन समय-समय पर अल्ट्रासाउंड के जरिए उसे देखा जाता है कि कहीं उसकी साइज बढ़ तो नहीं रही है।
जो महिलाएं गर्भवती होना चाहती है और उसके बच्चेदानी में गांठ है तो उनको डॉक्टर द्वारा गोनाडोट्रोपिन रिलीज़िंग हार्मोन एगोनिस्ट इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे गोनाडोट्रोपिन हार्मोन रिलीज होता है जो की एक प्रकार का सेक्स हार्मोन होता है जिससे एस्ट्रोजन हार्मोन कम बनता है।
गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट में ये इंजेक्शन आती है
buserelin, gonadorelin, goserelin, histrelin, leuprorelin, nafarelin, and triptorelin
यह सारी इंजेक्शन कैंसर सेल को रोक करके गांठ जैसी कंडीशन को ठीक करती है।
बच्चेदानी में गांठ होने पर कौन सी कंडीशन में सर्जरी कराई जाती है।
जब बच्चेदानी में गांठ की साइज काफी ज्यादा बड़ी हो जाती है तो ऑपरेशन की नौबत आ जाती है।
यदि रसौली की साइज 5 से 6 सेंटीमीटर की है तो ऑपरेशन के जरिए सिर्फ रसौली को निकाला जा सकता है उसमें बच्चेदानी को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। लेकिन अगर रसौली की साइज उससे अधिक या किसी गेंद या फुटबॉल की साइज की हो जाए तो यूट्रस को काटकर बाहर निकालना पड़ता है, जिससे औरतें कभी मां नहीं बन सकती है।
हिस्टेरेक्टॉमी
ऑपरेशन की एक तकनीक होती है जिसमें गर्भाशय को काटकर बाहर निकाल लिया जाता है और गांठ से छुटकारा मिल जाती है।
बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है पर आर्टिकल यहां समाप्त होती है। अगर अच्छा लगा हो तो शेयर करना ना भूले।
(JAI HIND)